खेल माया का

(1)

घाटियों में घुस आए हैं रेले बादलों के

पहाड़ की गुदगुदी हरियाली

मकानों की पाँत और सीढ़ीनुमा खेत

सभी

इस क्षण

एक साथ ओझल हो जाते हैं

बदलों की अभेद्य दीवार के पार

कुछ भी दृष्टव्य नहीं है

(2)

बादल जो खुद ही हवा के अनगढ़ झोकों पर निर्भर हैं

कैसे रचना उन्होंने

अपूर्व अभेद्यता का यह जाल

(3)

हवा के अनगढ़ झोकों से

क्षणों के अंतर घर सीढ़ीनुमा खेत

और गुदगुदी हरियाली