एक बार
स्वप्नों का वह विस्मृत संसार
मुझे चाहिए
मां के माथे पर झूमता घूंघर
और पल्ले से लटकती चाभी की झनकार
नन्हें पैरों के बल पर
घर की परिधियों पर थमा
वह
उन्मुक्त संसार
पूड़ी और परवल की भुजिया में
डूबी सुबहें
मुझे बीत चुके कालखंड में से
थोड़ा सा वक्त
उधार चाहिए
एक बार .